यस आई एम–2 [फियर ऑफ डेथ]
★★★
‘मिरवार:ए स्पेक्युलम वर्ल्ड, एंजेल ऑफ डेथ, 13:ए स्केरी नम्बर ।’ (ये मेरी आने वाली कहानियों के शीर्षक है।) कहानियों के शीर्षक पढ़ते हुए तृष्णा अजीब सा मुंह बनाते हुए बोली। "ये कैसे टाइटल है? वाकई में लेखक सटके हुए होते है।" थोड़ी देर तक वह कवर देखती रही और फिर प्रोफाइल स्क्रॉल करने लगी।
"पचास हजार से भी ज्यादा फैन फॉलोइंग!" उसने आश्चर्य से आंखें गोल करते हुए कहा और फिर आगे बोली। "ऐसा क्या लिखती है ये इच्छा?" बात पूरी करते ही वह उसकी प्रोफाइल देखने लगी। "हॉरर! कमाल की बात है। अब तो एक कहानी पढ़नी ही पड़ेगी। उसने जितनी भी कहानियां देखी थी ज्यादातर दस घंटे से ऊपर की ही थी। अचानक से उसकी नजर एक शीर्षक पर जाकर रुक गई। शीर्षक था ‘फियर ऑफ डेथ’। "चलो शुक्र है! कोई तो छोटी कहानी मिली।" अपनी बात पूरी करते ही वह उसे पढ़ने लगी।
फियर ऑफ डेथ
छुट्टी होने के बाद दो लड़की बच्चों की भीड़ को चीरते हुए बड़ी ही तेजी के साथ बाहर निकल रही थी। उसी भीड़ में एक लड़की जोर जोर से चिल्ला रही थी। "अरे यार! इतनी जल्दी किस बात की है तुझे?" लड़की ने लगभग हांफते हुए पूछा।
दूसरी लड़की ने अपनी रफ्तार बरकरार रखते हुए जवाब दिया। "जल्दी चलने से कौन सा तेरे पैर घीस जाएंगे?" उस लड़की के चेहरे पर बैचेनी साफ झलक रही थी।
"बताएगी भी हुआ क्या है?" पहली लड़की ने दूसरी लड़की के पास आते हुए पूछा।
"थोड़ी देर बाद पता चल जाएगा।" दूसरी लड़की ने रहस्यमई मुस्कान के साथ जवाब दिया।
"ये कुछ भी नही बताने वाली। चुप चाप चलने में ही तेरी भलाई है।" पहली लड़की ने खुद से कहा और फिर मन मसोसकर दूसरी लड़की के पीछे पीछे चल पड़ी। कुछ देर चलने के बाद वे दोनों एक बरगद के पेड़ के पास जाकर रुक गई। उस पेड़ की जड़े किसी स्तंभ की भांति पेड़ को सहारा दे रही थी।
शुरू में तो पहली लड़की को वहां कुछ भी नजर नहीं आया लेकिन जब उसने ध्यान से देखा तो पाया कि वहां बरगद के पेड़ की छाया में एक ठेले वाला खड़ा हुआ था। उस ठेले को देखकर पहली लड़की ने अपना सिर पीट लिया। "मतलब एक आइस क्रीम खाने के लिए तू मुझे इतना दूर लेकर आई।" उस लड़की की आंखे सिकुड़कर छोटी हो गई थी और उसकी उंगलियां आपस में बंधकर मुक्के का आकार ले चुकी थी।
"ये यहां की सबसे मशहूर मटका आइस क्रीम है। आइस क्रीम खाते हुए जो फील होता है.. तू सोच भी नहीं सकती।" दूसरी लड़की ने आंखे बंद करते हुए कहा। उसके चेहरे पर इस समय एक अलग ही संतुष्टि के भाव थे।
"फिर से शुरू हो गया इसका आइसक्रीम पुराण।" पहली लड़की धीरे से बुदबुदाई और दूसरी लड़की के साथ ठेले वाले के पास चली गई। दूसरी लड़की ने अपने लिए चार आइस क्रीम ली थी और पहली लड़की के लिए एक आइस क्रीम।
वे दोनों आइस क्रीम खाते हुए आगे की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी उन दोनो की नजर एक साथ एक बूढ़ी महिला पर पड़ी। उस बूढ़ी महिला ने मटमैले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। अपनी झुकी हुई कमर को सहारा देने के लिए उसने बांस की एक लाठी पकड़ी हुई थी। उस महिला के निकट ही जमीन पर एक बड़ा सा झोला पड़ा हुआ था।
"अम्मा हम आपकी कुछ मदद करे।" दूसरी लड़की उसके करीब जाते हुए पूछा। पहली लड़की भी उसके पीछे पीछे हो ली। "कुछ नही बेटा बस थकान की वजह से चक्कर आ गया था।" बूढी महिला ने कांपते हुए स्वर में कहा। उसके चेहरे की झुरियां प्रदर्शित कर रही थी कि वो कितनी बूढी हो चुकी थी। दूसरी लड़की ने उस बूढ़ी महिला को सहारा दिया और पास ही बनी हुई सीमेंट की बेंच पर बैठा दिया। इसके बाद उसने अपने पास मौजूद चार आइस क्रीम में से एक आइस क्रीम उस बूढ़ी महिला को दे दी। बूढी महिला ने उसे भाव विभोर हो कर देखा और बड़े प्यार से आइस क्रीम खाने लगी। आइस क्रीम खाने के बाद उसने दूसरी लड़की के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और धीरे से पूछा। "क्या नाम है बेटा तुम्हारा?"
"मेरा नाम दिव्या है।" दूसरी लड़की दांत दिखाते हुए कहा। "और इसका नाम दृष्टि है।" बूढी औरत के कुछ पूछने से पहले ही दिव्या एकदम से बोल पड़ी।
"तुम दोनों बहुत ही प्यारी हो..उम्मीद है कि तुम्हारा भविष्य भी उतना ही प्यारा होगा।" बूढी महिला ने एक रहस्यमई मुस्कान दिखाते हुए कहा।
"मतलब आप लोगों का भविष्य देखती है।" दिव्या ने एक पूरी की पूरी आइसक्रीम को मुंह में ठूंसते हुए कहा।
"कुछ ऐसा ही कह सकते है।" बूढी महिला ने जवाब दिया।
"तब तो आप पहले मेरा भविष्य देखिए।" दिव्या के मुंह खोलने से पहले ही दृष्टि एकदम से बोल पड़ी।
"ठीक है।" बूढी महिला के इतना कहते ही दृष्टि एकदम से उछलकर बोल पड़ी। "पहले मेरा भविष्य बता दीजिए।"
"ठीक है..ठीक है।" इतना कहते ही बूढ़ी महिला हँस दी और फिर आगे बोली। "पहले तुम्हारा भविष्य ही देख लेती हूं।" कहते ही बूढ़ी महिला ने उसका हाथ पकड़ा और फिर ध्यान से देखने लगी। कुछ देर तक उसके हाथों की लकीरें देखने के बाद वह बोली। "बड़ी भाग्यवान हो बेटी तुम।" बूढी महिला आगे कुछ और कह पाती उस से पहले ही दिव्या ने उसका हाथ हटा कर बूढ़ी महिला के सामने अपना हाथ कर दिया और फिर बड़ी ही मासूमियत के साथ बोली। "अब मेरा भविष्य बताइए।"
"ठीक है।" इतना कहते ही वह उसका हाथ देखने लगी। जैसे जैसे वह दिव्या का हाथ देख रही थी वैसे वैसे ही उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे। दृष्टि के समय जो खुशी के भाव थे वें अब चिंता की लकीरों का रूप ले चुकी थी।
वह घबराते हुए बोली। "नही, ऐसा नहीं हो सकता। ऐसा नही हो सकता।" उसने एक ही बात को कई बार दोहराते हुए कहा।
"क्या हुआ दादी मां?" दिव्या ने घबराते हुए पूछा।
"कुछ नही बिटिया।" बूढी महिला ने बात को टालते हुए कहा।
"बता दीजिए।" दिव्या ने जिद्द करते हुए कहा।
"आने वाले दिन तुम्हारी जिंदगी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित होने वाले है। इतने कि तुम्हारी जान भी जा सकती है।" बूढ़ी महिला ने बड़े ही रहस्यमई ढंग से अपनी बात कही। इतना सुनते ही दिव्या के हाथ से आइस्क्रीम छुटकर नीचे गिर गई।
"ऐसा कुछ नही होता।" इतना कहकर दृष्टि उसका हाथ पकड़ कर वहां से चल पड़ी। जैसे ही वह उसे लेकर वहां से चली वैसे ही दिव्या एक आती हुई बाइक से टकराने से बाल बाल बच गई। इस अप्रत्याशित घटना से दिव्या की हालत काटो तो खून नहीं जैसी हो गई। दृष्टि उसे वहां से लेकर चली गई। वह बूढ़ी महिला अभी भी उन दोनों को देख रही थी जिसके चेहरे पर इस वक्त एक शैतानी मुस्कान थी।
दिव्या की मम्मी जोर जोर से रो रही थी। ठीक उसके ठीक सामने घर के आँगन में दिव्या की लाश पड़ी हुई थी। पुलीस लाश की जांच पड़ताल कर रही। कुछ ना मिलने पर उन्होंने लाश को फॉरेंसिक लैब भेज दिया। रिपोर्ट आने पाए पता चला कि उसकी मौत का कारण कुछ नही बल्कि ज्यादा आइस क्रीम खाना था।
दिव्या अपने कमरें में बैठी हुई थी। उसके सामने बड़ी संख्या में आइस क्रीम के डिब्बे रखे हुए थे। बीते कुछ दिन से उसके साथ घटित होने वाली घटनाओं से उसे यकीन हो गया था कि उसकी मौत कभी भी आ उसे लेने आ सकती है। वह अपने पसंदीदा काम को करने के बाद ही मरना चाहती थी।
मरने के डर से वह लगातार आइसक्रीम खाए जा रही थी और तब तक खाती रही जब तक सामने पड़े हुए डिब्बे खाली ना हो गए। सामने पड़े हुए डिब्बों को देखकर कोई भी इस बात पर विश्वास नहीं कर सकता था कि एक नाजुक सी बच्ची इतनी आइस क्रीम कैसे खा गई?
वह अपनी जगह से उठी और आइस क्रीम के डिब्बों को कूड़ेदान में फेंक आई। वापिस आते हुए उसे अपनी सांसे भूलती हुई सी महसूस होने लगी। सांस ना आने की वजह से वह जोर जोर से हांफने लगी। वह बोलना चाहती थी परंतु उसके मुंह से आवाज ही नहीं निकल पा रही थी।
वह आगे कुछ हरकत कर पाती उस से पहले ही पेट पकड़ कर नीचे बैठ गई और उल्टी करने लगी। तभी अचानक उसे एक जोरदार खांसी हुई और उसी के साथ उसे खून की उल्टियां होने लगी और तब तक होती रही जब तक वह बेजान हो कर धरती पर ना गिर गई। भविष्यवाणी सच साबित हो चुकी थी या फिर कहे तो दिव्या के डर ने उसे सच साबित किया था।
समाप्त
"क्या कहानी थी।" तृष्णा ने तारीफ के अंदाज में कहा और फिर आगे बोली। "कुछ भी, लोगों को आइस क्रीम भी नही खाने देना चाहते ये लोग।" कहते ही तृष्णा ने लैपटॉप बंद कर दिया और फिर पढ़ने लगी।
★★★
जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️ लाइक भी जरूर करे।
hema mohril
25-Sep-2023 03:19 PM
V nice
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Shalu
07-Jan-2022 01:59 PM
Very nice
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Ali Ahmad
10-Dec-2021 12:07 PM
Oh ho suspens ye ki kya vo murder tha ya normal death... Inspector ne to case bnd hi kr diya.
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